BJP-JJP सरकार का बजट कोरी भाषणबाजी और भ्रामक आंकड़ेबाजी का मिश्रण है। बजट को हर बार पहले बढ़ा - चढ़ाकर दिखाया जाता है, बाद में उसे संशोधित करके कम कर दिया जाता है।
लगता है सरकार ‘आगे दौड़, पीछे छोड़’ की नीति पर चल रही है।
सरकार ने रिकॉर्ड बेरोजगारी के इस दौर में भी आर्थिक प्रगति व ढांचागत बजट में 3% की कटौती कर दी।
यही नहीं, पिछले साल के मुकाबले शिक्षा का बजट भी कम कर दिया गया। प्रदेश पर कर्ज बढ़कर करीब 2.5 लाख करोड़ हो चुका है जिससे कर्ज भुगतान खर्च बढ़ गया है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पेश बजट से महिलाओं की सारी उम्मीदें टूट गईं।
आशा और आंगनवाड़ी वर्कर्स अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर हैं, लेकिन उनकी मांगों पर बजट खामोश नजर आया। सरकार ने इन महिला कर्मचारियों की हमेशा की तरह पूर्ण अनदेखी की।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार को GSDP का 8% खर्च करना चाहिए लेकिन सरकार ने महज 4% की घोषणा की है। इसी तरह नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक सरकार को GSDP का 6% खर्च करना चाहिए लेकिन सरकार ने महज 2% की घोषणा की है।
बजट घोषणाओं से सरकार की मंशा स्पष्ट हो गई!
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