बुधवार, 9 मार्च 2022

अंबाला सिटी का विधानसभा परिणाम



1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी अब्दुल गफ्फूर खान ने जनसंघ के मूलराज को परास्त किया था. 

1957 और 1962 में भी अब्दुल गफ्फूर खान ही कांग्रेसी विधायक निर्वाचित हुए। दोनों ही चुनावों में खान ने भारतीय जनसंघ के रघबीर शरण को पराजित किया। 

1967 में खान को जनसंघ के फकीर चंद ने पराजित कर दिया। खान ने अगला चुनाव नग्गल से लड़ा। 

1968 में कांग्रेस की लखवती जैन और जनसंघ के फकीर चंद में चुनावी टक्कर हुई और लखवती ने विजय हासिल की।

 1972 में भी कांग्रेस की लखवती जैन ही चुनाव जीतीं। इस दफ़ा उन्होंने जनसंघ के लक्ष्मी नारायण को पराजित किया। 

1977 में जनता पार्टी के शिव प्रसाद ने कांग्रेस की लखवती जैन को पराजित किया। 

1982 व 1987 में भी शिव प्रसाद ही विधायक निर्वाचित हुए। पहली बार उन्होंने कांग्रेस के सुमेर चंद को और दूसरी बार कांग्रेस के रामयश को परास्त किया। 

1991 में कांग्रेस के सुमेर चंद भट्ट ने भाजपा के फकीर चंद अग्रवाल को शिकस्त दी। 

1996 में फ़कीर चंद अग्रवाल ने कांग्रेसी सुमेर चंद भट्ट को मात दी। 

2000 में भाजपा की वीना छिब्बर कांग्रेस की किरण बाला को पराजित कर विधायक बनीं। 

2005 में कांग्रेस के विनोद शर्मा इनेलो के सुरजीत सिंह को परास्त कर विधायक बने। वीणा छिब्बर (भाजपा) तीसरे स्थान पर रहीं। 

2009 में भी विनोद शर्मा ही लगभग 70 हज़ार वोट लेकर विधायक बने। उन्होंने ने शिरोमणि अकाली दल की बीबी चरणजीत कौर को पराजित किया। भाजपा के डॉ. संजय शम और बसपा के माखन सिंह तीसरे व चौथे स्थान पर रहे। 

2014 में भाजपा के असीम गोयल ने यहां 'कमल' खिलाया। उन्होंने हरियाणा जन चेतना पार्टी के सुप्रीमो व निवर्तम विधायक विनोद शर्मा को पराजित किया। कांग्रेस प्रत्याशी हिम्मत सिंह तीसरे स्थान रहे। (अम्बाला शहर अब अर्ध शहरी विधानसभा क्षेत्र हो गया है। यहां के कुल 2 लाख वोटों में से आधे ग्रामीण इलाक़ों से हैं। 2009 में नए परिसीमन के बाद नम विधानसभा क्षेत्र इस हलके के साथ जुड़ गया था, जिसके बाद पूरी तरह से शहरी म जाने वाले विधानसभा क्षेत्र में करीब 115 गांव शामिल हो गए। अब वही उम्मीदवार यहां से बाज़ी मार सकेगा जिसका शहरी व ग्रामीण दोनों इलाक़ों में जनाधार होगा.

2019 में दोबारा बीजेपी के असीम गोयल ने जीत दर्ज की.

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